द गर्ल इन रूम 105
'हमें अपने साथ और गर्म कपड़े लेकर आते थे, सौरभ ने कहा। यह अपने हाथों को आपस में रगड़ रहा था। पहलगाम का हीवन होटल, जहां पर हम रुके थे, ने अपने लॉन्स में कैंपफायर का बंदोबस्त कर रखा था। हम दोनों
डिनर के बाद वहीं बैठे थे।
"सिकंदर के साथ कुछ गड़बड़ है, मैंने कहा। "रिलैक्स, कुछ समय इंतज़ार करो, वह हमारे सामने खुल जाएगा, सौरभ ने कहा ।
"मुझे लगता है कि वो ख़ुद को जितना बेवकूफ़ दिखाने की कोशिश करता है, उतना है नहीं।' "शायद वो नर्वस है।'
'बकवास मेरे ख्याल से अब सच का सामना करने का समय आ गया है।"
"क्या सच?"
'यही कि वो ऊपर से चाहे जितनी जज्बाती बातें बोल ले, लेकिन वो इतना मासूम है नहीं। इन फैक्ट, मामले में अब सबसे ज्यादा शक उसी पर है।" "तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?"
इस
'मुझे लगता है कि कुछ ऐसा हुआ होगा- पहले सिकंदर टेररिस्ट बन गया। फिर जारा को इसका पता चल गया। उसने उसे कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माना। आखिरकार जारा के सब का बांध टूट गया
और उसने पुलिस के पास जाने का फ़ैसला लिया।'
'और इससे पहले ही सिकंदर आया और उसे मार दिया?'
"हां" "हो सकता है। इसीलिए उसने अपने रूम की खिड़की भी खोल दी होगी, क्योंकि आखिरकार वो उसका
सौतेला भाई था।'
'एग्जेक्टली।' "लेकिन उस तस्वीर के बारे में क्या? उसमें ज़ारा क्यों मुस्करा रही है?" "शायद वो दबाव में होगी। या शायद वह पुलिस के लिए सबूत इकट्ठा कर रही होगी।" "तो क्या इसीलिए उसने कोकीन की पुड़िया और बुलेट अपने पास रख ली थी?"
एकदम सही वो सबूत जुटा रही थी। वो पुलिस के पास जाना चाहती थी और सिकंदर को इसका पता लग गया था।'
'लेकिन वो तो अपनी आपा से प्यार करता था।'
'अगर हाशिम भाई ने बोल दिया कि एक 'बड़े काम' के लिए बहन को मारना जरूरी है, तो तुम्हें क्या
लगता है, तब सिकंदर क्या करेगा?"
सौरभ ने दोबारा बोलने से पहले अपना गाल खुजाया। "तब तो वो उसको मारने से नहीं हिचकेगा।' हम एक-दूसरे को थोड़ी देर तक देखते रहे, फिर हमने हाई फाइब किया। हमारी थ्योरी एकदम सटीक लग
रही थी।
'हम इस मामले की तह तक पहुंच गए हैं। इंस्पेक्टर राणा को फोन लगाओ। हमें उनकी मदद की ज़रूरत
होगी, ' मैंने कहा हां, आखिरकार मैंने कातिल का पता लगा लिया था। कैंपफ़ायर की आग मेरे चेहरे को ही नहीं,
मेरे
वजूद
को भी चमका रही थी।